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Medicinal Trees

Medicinal trees play a crucial role in traditional and modern medicine, offering natural remedies for various ailments. Trees like Neem, known for its antibacterial properties, Tulsi (Holy Basil), which boosts immunity, and Arjun, used for heart health, have been used for centuries in Ayurveda. These trees not only provide herbal treatments but also purify the environment by releasing oxygen and absorbing pollutants. Their bark, leaves, fruits, and roots contain bioactive compounds that help treat infections, inflammation, and even chronic diseases. Preserving and planting medicinal trees can support both human health and environmental well-being.

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PIM/ 01

नीम (अज़ादिराक्टा इंडिका )

  • भारतीय उपमहाद्वीप का मूल वृक्ष (Native tree) है।

  • भारतीय संस्कृति में इसका औषधीय और कृषि महत्व है।

  • नीम में जीवाणुरोधी और एंटिफंगल गुण होते हैं, जो इसे स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए अनमोल बनाते हैं।

  • इसके पत्ते, सफेद फूल और कड़वे फल त्वचा रोगों, संक्रमणों और अन्य बीमारियों के उपचार में उपयोग किए जाते हैं। 

PIM/ 02

अमलतास (कैसिया फिस्टुला)

  • भारत का मूल निवासी (Native tree) है जिसे "गोल्डन शावर" के नाम से भी जाना जाता है। 

  • इसके सुनहरे पीले फूल धार्मिक त्योहारों में उपयोग किए जाते हैं। 

  • आयुर्वेद में इसके फल हल्का विरेचक होता है। 

  • इसके पत्ते बड़े, फूल गुच्छों में, और फल लंबे, बेलनाकार होते हैं।

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PIM/ 03

सीता अशोक (सारका असोका)

  • भारत का मूल निवासी (Native tree) है।

  • इसे धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व प्राप्त है, खासकर रामायण में। 

  • इसके चमकदार पत्ते, सुगंधित नारंगी-पीले फूल, और फलीदार फल होते हैं। 

  • आयुर्वेद में इसका उपयोग स्त्री रोगों, त्वचा विकारों और दर्द निवारण के लिए किया जाता है। 

  • यह वृक्ष पर्यावरणीय शुद्धता में भी सहायक है।

PIM/ 04

हरश्रिंगार -  पारिजात (निक्टेन्थेस आर्बर-ट्रिस्टिस)

  • भारतीय उपमहाद्वीप का मूल पौधा (Native) है, जो रात में खिलने वाले सुगंधित फूलों के लिए प्रसिद्ध है। 

  • धार्मिक संस्कारों में इसका उपयोग होता है। 

  • आयुर्वेद में इसके पत्ते और फूलों का उपयोग बुखार, गठिया, और त्वचा रोगों के इलाज में किया जाता है।

  •  इसके पत्ते चीर-फाड़ वाले और फूल सफेद-संतरी रंग के होते हैं।

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PIM/ 05

करी पत्ता (मुरैना कोएनिगि)

  • भारत और श्रीलंका का मूल पौधा (Native) है, जो भारतीय व्यंजनों में खास महत्व रखता है। 

  • इसके पत्ते स्वाद और सुगंध के लिए उपयोग किए जाते हैं। 

  • आयुर्वेद में इसे पाचन, डायबिटीज, और त्वचा रोगों के इलाज में प्रयोग किया जाता है। इसका छोटा, सफेद फूल और काले फल इसे पहचानने में मदद करते हैं।

PIM/ 06

 कचनार (बौहिनिया पुरपुरिया)

  • भारतीय उपमहाद्वीप का मूल निवासी (Native tree) है।

  • इसके पत्ते दो-भागीय, फूल गुलाबी-सफेद, और फल लंबे चपटे फलीदार होते हैं। 

  • आयुर्वेद में कचनार का उपयोग थायराइड, त्वचा रोग, और घावों के इलाज में किया जाता है।

  •  इसके फूल खाने योग्य होते हैं और व्यंजनों में प्रयोग किए जाते हैं।

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PIM/ 07

सहजन -  मोरिंगा या ड्रमस्टिक पेड़ (मोरिंगा ओलीफेरा)

  • भारत और दक्षिण एशिया का मूल निवासी (Native tree) है। 

  • इसे आयुर्वेद में औषधीय महत्व प्राप्त है। 

  • इसके पत्ते, फूल, और फल पौष्टिक और औषधीय गुणों से भरपूर होते हैं। 

  • पत्ते त्रैतीयक रूप में, फूल सफेद और फल लंबा होता है, जिसका उपयोग विभिन्न उपचारों में किया जाता है।

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पीपल (फ़िकस रिलिजिओसा)

  • भारतीय उपमहाद्वीप का मूल निवासी  (Native tree) है । 

  • इसे भारतीय संस्कृति में पवित्र माना जाता है। 

  • इसका दिल के आकार का पत्ता और छोटे-छोटे फल धार्मिक अनुष्ठानों में उपयोग होते हैं। 

  • औषधीय गुणों में यह सांस, त्वचा, और पाचन संबंधी समस्याओं के उपचार में उपयोगी है। 

  • पीपल पर्यावरण के लिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह अधिक ऑक्सीजन प्रदान करता है।

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अर्जुन (टर्मिनलिया अर्जुन)

  • भारतीय उपमहाद्वीप का मूल निवासी (Native tree) है। 

  • आयुर्वेद में हृदय रोगों के इलाज के लिए महत्वपूर्ण है। 

  • इसके लंबे, हरे पत्ते, सफेद-पीले फूल और त्रिकोणीय फल होते हैं। 

  • अर्जुन की छाल का उपयोग रक्तचाप नियंत्रित करने और हृदय को मजबूत बनाने में होता है। 

  • यह पेड़ पर्यावरण संतुलन और मिट्टी के संरक्षण में भी सहायक है।

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पाकड़ (फिकस विरेंस

  • भारतीय उपमहाद्वीप का मूल निवासी (Native tree) है। 

  • इसका धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व है।

  • इसके पत्ते बड़े, हरे और चिकने होते हैं, जबकि इसके छोटे फल अंजीर के समान होते हैं। आयुर्वेद में इसका उपयोग पाचन और त्वचा रोगों के उपचार में होता है। 

  • पाकड़ पर्यावरण संरक्षण में भी सहायक है और पारिस्थितिकी संतुलन बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

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